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Sunday 28 February 2016

Latest Hindi Jokes and SMS


 अहमियत बीवी की!

सुबह उठ कर पत्नी को पुकारते हैं, सुनो चाय लाओ।

थोड़ी देर बाद फिर आवाज़, सुनो नाश्ता बनाओ।

क्या बात है, आज अभी तक अखबार नहीं आया।

जरा देखो तो, किसी ने दरवाजा खटखटाया।

अरे आज बाथरूम में साबुन नहीं है क्या?

देखो तो कितना गीला पड़ा है तौलिया।

अरे,ये शर्ट का बटन टूटा है, जरा लगा दो और मेरे मौजे कहाँ है, जरा ढूंढ के ला दो।

लंच के डिब्बे में आलू के परांठे दो ज्यादा रख देना।

देखो अलमारी पर कितनी धूल जमी पड़ी है, लगता है कई दिनों से डस्टिंग नही की है।

गमले में पौधे सूख रहे हैं, क्या पानी नहीं डालती हो? दिन भर करती ही क्या हो बस गप्पे मारती हो।

शाम को डोसा खाने का मूड है, बना देना।

बच्चों की परीक्षाएं आ रही हैं पढ़ा देना।

सुबह से शाम तक कर फरमाईशें कर नचाते हैं, चैन से सोने भी नहीं देते, सताते हैं।

दिनभर में बीवियां कितना काम करती हैं ये तब मालूम पड़ता है जब वो बीमार पड़ती हैं। एक दिन में घर अस्त व्यस्त हो जाता है, रोज का सारा रूटीन ही ध्वस्त हो जाता है। आटे दाल का सब भाव पता चल जाता है। बीवी की अहमियत क्या है, ये पता चल जाता है।

सभी बीवियों को सलाम।


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 मन्नत मांगो जन्नत नहीं!

एक बार एक आदमी की अपनी पत्नी से बहुत घमासान लड़ाई हो गयी तो वह गुस्से में घर छोड़ कर चला गया और जंगल में समाधि लगा कर बैठ गया।

कईं महीनो की घोर तपस्या के बाद भगवान् उस पर प्रसन्न होकर उसके समक्ष प्रकट हुए और उससे बोले।

भगवान्: आँखे खोलो वत्स।

आवाज़ सुन कर उस आदमी ने आँखे खोली तो अपने सामने भगवान् को देख वह आदमी भगवान् से बोला, " हे प्रभु मेरे दुखों का निवारण करो।"

भगवान्: बोलो वत्स तुम्हारी क्या इच्छा है।

आदमी: प्रभु मैं अपनी पत्नी से बहुत परेशान हूँ और मैं चाहता हूँ या तो आप उसे गूंगा कर दो या मुझे फिर से कुंवारा बना दो।

भगवान: वत्स मैंने तुम्हे मन्नत मांगने को बोला था जन्नत मांगने को नहीं।


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 कबीर के आधुनिक दोहे!

यदि कबीर जिन्दा होते तो आजकल के दोहे यह होते:

नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात;
बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात;

पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज;
कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज;

भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास;
बहन पराई हो गयी, साली खासमखास;

मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश;
बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश;

बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान;
पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान;

पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग;
मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग;

फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर;
पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर;

पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप;
भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप।


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 सेर को सवा सेर!

एक बार एक आदमी था। जिसने अपनी सारी ज़िन्दगी बहुत काम किया और बहुत पैसा कमाया। पैसा होने के बावजूद भी वो बहुत कंजूस था। उसे अपनी ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा प्यार अपने पैसे से था। यहाँ तक कि उसने अपनी पत्नी से भी यह वायदा लिया था की जब वो मर जायेगा तो उसका सारा पैसा उसके साथ उसकी कब्र में दफना देना।

उसकी पत्नी ने भी उससे वायदा कर दिया कि जब वो मरेगा तो वो ऐसा ही करेगी।

कुछ दिनों बाद आदमी की मौत हो गयी। आदमी को ताबूत में लिटाया गया और जब सब लोग उस ताबूत को दफ़नाने लगे तो पत्नी ने उनको रुकने को कहा।

सब रुक गए तभी उस आदमी की पत्नी एक डिब्बा लेकर आई और उसे ताबूत में रख दिया। सब लोग यह देख कर हैरान थे कि वो ऐसा क्यों कर रही है। पति तो अब मर चुका है तो अब सारा पैसा पत्नी का ही है फिर भी वो डिब्बा ताबूत में रखना चाहती है।

पत्नी ने सब की बात सुनी और बोली, "मैं एक अच्छी पत्नी हूँ जो अपने पत्नी की हर इच्छा पूरी करुँगी। मैंने उनसे वायदा किया था कि मैं उनके सारे पैसे उनके साथ ही ताबूत में छोड़ दूंगी।"

किसी ने उससे पूछा, "इसका मतलब तुमने सारे पैसे एक साथ इसमें रख दिए?"

पत्नी ने जवाब दिया, "हाँ बिल्कुल, मैंने उसके सारे पैसे अपने खाते में जमा करवा दिए हैं और अपने पति के नाम का चेक लिख दिया है जो कि इस डिब्बे में है!"



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भारत और महाभारत!

दुर्योधन और राहुल गांधी - दोनों ही अयोग्य होने पर भी सिर्फ राजपरिवार में पैदा होने के कारन शासन पर अपना अधिकार समझते हैं।

भीष्म और आडवाणी - कभी भी सत्तारूढ़ नही हो सके फिर भी सबसे ज्यादा सम्मान मिला। उसके बाद भी जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबसे ज्यादा असहाय दिखते हैं।

अर्जुन और नरेंद्र मोदी - दोनों योग्यता से धर्मं के मार्ग पर चलते हुए शीर्ष पर पहुचे जहाँ उनको एहसास हुआ की धर्म का पालन कर पाना कितना कठिन होता है।

कर्ण और मनमोहन सिंह - बुद्धिमान और योग्य होते हुए भी अधर्म का पक्ष लेने के कारण जीवन में वांछित सफलता न पा सके।

जयद्रथ और केजरीवाल - दोनों अति महत्वाकांक्षी एक ने अर्जुन का विरोध किया दूसरे ने मोदी का। हालांकि इनको राज्य तो प्राप्त हुआ लेकिन घटिया राजनीतिक सोच के कारण बाद में इनकी बुराई ही हुयी।

शकुनि और दिग्विजय - दोनों ही अपने स्वार्थ के लिए अयोग्य मालिको की जीवनभर चाटुकारिता करते रहे।

धृतराष्ट्र और सोनिया - अपने पुत्र प्रेम में अंधे है।

श्रीकृष्ण और कलाम - भारत में दोनों को बहुत सम्मान दिया जाता है परन्तु न उनकी शिक्षाओं को कोई मानता है और न उनके बताये रास्ते का अनुसरण करता है।





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 तीन सेल्समैन!

तीन सेल्समैन बड़ी शेखियां बघार रहे थे वे अपने आप को सबसे बढ़िया सेल्समैन साबित करते हुए कह रहे थे:

पहला: मैंने आज एक अंधे आदमी को रंगीन टी.वी. बेचा!

दूसरा: मैंने तो एक बहरे आदमी को सोनी का म्युज़िक सिस्टम बेच दिया!

तीसरा: अरे मैंने तो आज बंता को कुकू घड़ी (Cuckoo clock) बेच दी!

बाकि दोनों उससे पूछने लगे तो क्या हुआ!

तीसरे ने कहा अरे मैंने कुकू घड़ी के साथ उसको 50 किलोग्राम पक्षियों का दाना भी बेच दिया!